जय जोहार🙏
आज दिनांक 24-11-2019 अभा हल्बा, हल्बी आदिवासी समाज कर्मचारी प्रकोष्ठ की बैठक अंबागढ़ चौकी (राजनाँदगाँव) में संपन्न हुआ।केन्द्रीय अध्यक्ष श्री बीएस रावटे जी,श्री किशन मानकर जी,श्री हीरालाल माँझी जी,श्री भारत सिंह ठाकुर जी,श्री बीरेन्द्र चनाप जी की गरिमामयी उपस्थिति में निम्न विषयों पर चर्चा किया गया।
1) केन्द्रीय चुनाव संबंधी चर्चा।
2) 10 दिसंबर 2019 तक जिला कार्यकारिणी का गठन करने।
3) कर्मचारियों के लिए सदस्यता शुल्क की राशि 50 रूपये से बढ़ाकर 100 रूपये करने का प्रस्ताव। जिसमें से 50 रूपये शाखा स्तर,40 रूपये केन्द्र स्तर व 10 रूपये जिला स्तर हेतु निर्धारित करने संबंधी चर्चा।
4) शाखा स्तर पर चुनाव के दौरान प्रतिनिधित्व में सभी महासभाओं के कर्मचारी सदस्यों को प्राथमिकता देने विषयक चर्चा।
5) शिक्षा कल्याण कोष में सहयोग पर चर्चा।
6) समाज के प्रतिभावान बच्चों को प्रोत्साहित करने संबंधी चर्चा।
7) कर्मचारी संगठन को मजबूत करने की दिशा में समस्त कर्मचारियों व अधिकारियों की भागीदारी सुनिश्चित करने।
8) हल्बा समाज के वेबसाईट की उपलब्धता व सदस्यता के संबंध में।
9) वित्तीय आय-व्यय की जानकारी।
10) कर्मचारी/अधिकारी सदस्यता अभियान पर जोर देने।
11) प्रत्येक शाखा स्तर पर समस्त कर्मचारियों व अधिकारियों का सर्वे तथा हल्बा समाज की वास्तविक जनगणना के संबंध में चर्चा।
12) समाज को संगठित करने तथा रचनात्मक कार्यों को अंजाम देते हुए कार्यशाला आयोजित करने पर बल।
बैठक को केन्द्रीय कर्मचारी प्रकोष्ठ के सभी पदाधिकारियों ने संबोधित किया। सदन से कई विचार आए,जिस पर सकारात्मक चर्चा की गई।
इस अवसर पर केन्द्रीय कर्मचारी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष श्री बीएस रावटे जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज हल्बा समाज अकेले रहकर अपने अधिकारों को पा नहीं सकता, इसके लिए सर्व आदिवासी समाज में भी भागीदारी बढ़ानी होगी। समाज में संवैधानिक व्यवस्था पर बल देना भी उतना ही आवश्यक है,हमने कई बार पहले भी संवैधानिक खतरों को लेकर आगाह किया था। कहा कि आज जिस दुष्परिणाम को हल्बा समाज भुगत रहा है, वह हमारे हल्बा समाज के असंगठित रूप का ही परिणाम है। समाज में जागरूकता लाने के लिए हमें शिक्षित होना होगा। एकजुटता दिखानी होगी। प्रारंभ में कर्मचारी संगठन का बचपना था, आज युवा अवस्था में पहुँच चुका है। तब संचार के कोई विशेष साधन भी नहीं थे,समाज में सूचनाओं का आदान-प्रदान करने में भारी कठिनाई हो रही थी,लेकिन वर्तमान समय में संचार क्रांति ने सबकुछ बदलकर रख दिया है, फिर भी हम संचार व्यवस्था के उचित माध्यम होते हुए भी संगठित नहीं हो सके। उन्होंने कहा कि समाज में कई रिटायर्ड जज,आईपीएस अधिकारी भी हैं जो समाज के युवा छात्रों को अपना अनुभव साझा कर उचित मदद कर सकते हैं, लेकिन वे समाज सेवा के प्रति उदासीन होकर अपने घर-परिवार तक सीमित हैं,जबकि उन्हें चाहिए कि वे समाज के गरीब प्रतिभावान छात्रों को बेहतर शिक्षा हेतु मार्गदर्शन करें।
अन्य समुदायों की तुलना में हम कुछ भी नहीं हैं। हमें समाज में कई रचनात्मक कार्यों के बलबूते एकता स्थापित करनी है, जिसमें कर्मचारियों/अधिकारियों की विशेष भूमिका होनी चाहिए। इसके लिए हमें सदस्यता बढ़ानी होगी, सबकी भागीदारी सुनिश्चित हो।
श्री रावटे जी ने आगे कहा कि आज कई कर्मचारी सामाजिक चंदा देने के लिए आनाकानी करते हैं,और शायद वर्तमान में जो गंभीर स्थिति बनी हुई है उसे देखते हुए कर्मचारियों की भागीदारी बढ़ने लगी है यह अच्छा संकेत है।
उन्होंने आगे कहा कि आज समाज को संविधान के करीब जाना होगा, हम मूलनिवासियों के लिए डॉ.बाबा साहब अंबेडकर जी ने संविधान में अनुच्छेद 13 (3) क के संदर्भ में व्यवस्था कायम कर रखी है,इसे तभी समझा जा सकता है जब समाज के लोग जागरूक होंगे, इसके लिए संवैधानिक जानकारी लेना जरूरी है। कार्यशालाओं के माध्यम से समाज में जागरूकता लाई जा सकती है। इसके लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।
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